"सकारात्मक सोच -ए मोटिवेशनल स्टोरी"
📝 गोविंद नागर धाकड़
एक पहाड़ी पर दो बुजुर्ग रहते थे, दोनो बुजुर्ग काफी गरीब थे। उनके रहने के लिए उन्होंने नाममात्र लकड़ियों की झोपड़ी बना रखी थी ,एवं पास के गांव में लकड़ी बेच कर अपना-अपना गुजारा भलीभांति कर लेते थे।लेकिन वह दोनों एक दिन गाँव में लकड़ी बेचने गए, तभी अचानक मौसम ख़राब हो गया।
एवं जोर से बादल गरजने लगे ,तभी दोनों की चिंता बढ़ गई क्योंकि जो उनके रहने की जो झोपड़ी थी वह बहुत ही हल्की थी।
ओर बारिश बंद हो गई एवं वह अपनी झोपड़ी पर पहुचे, तो दोनों की झोपड़ी में काफ़ी नुकसान हो गया।
तभी एक बुजुर्ग बहुत ही दुखी मन से भगवान पर नाराजगी जताते हुए।, कहने लगा कि भगवान आपने ,मेरी ही झोपड़ी को तहस नहस करने में क्या मिला, एवं में इस बारिश में रातभर कैसे गुजारूंगा ।एवं दुःखी होकर बैठ गया।
लेकिन दूसरे बुजुर्ग व्यक्ति ने जब अपनी झोपड़ी देखी तो उसने दिल से भगवान को धन्यवाद दिया। एवं कहा कि भगवान ,यह बारिश तो मेरी पूरी झोपडी को तहस नहस कर देती, लेकिन आपने इसे पूरी तरह तहस नहस होने से बचा लिया, वरना में रात भर कहा रहता एवं झोपड़ी में टिपकते हुए रिमझिम बारिश में बढ़िया सो गया।
एवं जो पहला बुजुर्ग था, वो भगवान पर दोष देते हुए सारी रात उसी चिंता में जागा रहा एवं करवटे लेते रहा।
हा तो दोस्तों आपको इस कहानी का सारांश तो लगभग पता ही चल गया होगा।
क्योंकि किसी भी इंसान का दुःखी रहने का सबसे बड़ा यही कारण है कि
किसी भी परिस्थिति में व्यक्ति सकारात्मक सोचने के बजाए, नकारात्मक सोचता है।
एवं दुःखी रहने का सबसे बड़ा कारण बन जाता है।
यदि व्यक्ति को यदि जीवन में सुखी रहना है तो प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मक सोचना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में लाख खुशियों को भूल ,अपने कुछ दुखी पल को याद करके दुःखी महसूस करता है।
दोस्तो इस कहानी के माध्यम से आपको सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित कर रहा हूँ।
धन्यवाद ,🙏
यदि आपको यह कहानी पसंद आती हैं, तो कंमेंट एवं अधिक से अधिक शेयर करे।
में गोविंद नागर धाकड़
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📝 गोविंद नागर धाकड़
एक पहाड़ी पर दो बुजुर्ग रहते थे, दोनो बुजुर्ग काफी गरीब थे। उनके रहने के लिए उन्होंने नाममात्र लकड़ियों की झोपड़ी बना रखी थी ,एवं पास के गांव में लकड़ी बेच कर अपना-अपना गुजारा भलीभांति कर लेते थे।लेकिन वह दोनों एक दिन गाँव में लकड़ी बेचने गए, तभी अचानक मौसम ख़राब हो गया।
एवं जोर से बादल गरजने लगे ,तभी दोनों की चिंता बढ़ गई क्योंकि जो उनके रहने की जो झोपड़ी थी वह बहुत ही हल्की थी।
ओर बारिश बंद हो गई एवं वह अपनी झोपड़ी पर पहुचे, तो दोनों की झोपड़ी में काफ़ी नुकसान हो गया।
तभी एक बुजुर्ग बहुत ही दुखी मन से भगवान पर नाराजगी जताते हुए।, कहने लगा कि भगवान आपने ,मेरी ही झोपड़ी को तहस नहस करने में क्या मिला, एवं में इस बारिश में रातभर कैसे गुजारूंगा ।एवं दुःखी होकर बैठ गया।
लेकिन दूसरे बुजुर्ग व्यक्ति ने जब अपनी झोपड़ी देखी तो उसने दिल से भगवान को धन्यवाद दिया। एवं कहा कि भगवान ,यह बारिश तो मेरी पूरी झोपडी को तहस नहस कर देती, लेकिन आपने इसे पूरी तरह तहस नहस होने से बचा लिया, वरना में रात भर कहा रहता एवं झोपड़ी में टिपकते हुए रिमझिम बारिश में बढ़िया सो गया।
एवं जो पहला बुजुर्ग था, वो भगवान पर दोष देते हुए सारी रात उसी चिंता में जागा रहा एवं करवटे लेते रहा।
हा तो दोस्तों आपको इस कहानी का सारांश तो लगभग पता ही चल गया होगा।
क्योंकि किसी भी इंसान का दुःखी रहने का सबसे बड़ा यही कारण है कि
किसी भी परिस्थिति में व्यक्ति सकारात्मक सोचने के बजाए, नकारात्मक सोचता है।
एवं दुःखी रहने का सबसे बड़ा कारण बन जाता है।
यदि व्यक्ति को यदि जीवन में सुखी रहना है तो प्रत्येक परिस्थिति में सकारात्मक सोचना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में लाख खुशियों को भूल ,अपने कुछ दुखी पल को याद करके दुःखी महसूस करता है।
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सकारात्मक सोच-"ए मोटिवेशनल स्टोरी"
Reviewed by Govind Nagar Dhakad
on
January 19, 2019
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