में हूं,गोविंद नागर धाकड़ ,
आज हम होलकर कॉलेज के के बारे मैं जानेंगे ।
होलकर विज्ञान महाविद्यालय
इन्दौर का एक महाविद्यालय है जिसमें विज्ञान विषयों की शिक्षा की अच्छी व्यवस्था है। यह महाविद्यालय इन्दौर में आगरा-बम्बई मार्ग पर भवंरकुँआ चौराहे के पास है। 10 जून 1891 में होलकर वंश के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने इसकी आधारशिला रखी।यह 36 एकड के भू भाग में फैला हुआ है एवं वर्तमान में गणित एवं जीवविज्ञान संकाय के 10 से अधिक विभाग संचालित है।यशवंत हाल, रेड बिल्डिंग,एकेडमिक हाल यहां के प्रमुख शिक्षण और साहित्यिक केंद्र है।वर्तमान में यहां पर स्नातक और स्ातकोत्तर के 30 से अधिक पाठयक्रम संचालित हो रहे हैं। 1985 में इस महाविद्यालय को आदर्श(माॅडल) का जबकि 1988 में यह स्वशासी(आटोनामस) का दर्जा दिया गया। वर्ष 2015-2016 में इसे नेक NACC द्वारा 'ए' ग्रेड प्रदान किया गया है। वर्तमान में लगभग 4000 विद्यार्थी यहाँ अध्ययनरत है।
एक साल टली थी योजना
मराहाजा शिवाजीराव होलकर ने 1880 में कॉलेज शुरू करने की ईच्छा जताई। तब शिवाजीराव होलकर के कार्यभारी काशीनाथ कीर्तने ने कॉलेज शुरू करना बड़ी जल्दबाजी बताया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि मैट्रिक में ही गिनती के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। ऐसे में कौन कॉलेज पढऩे आएगा। फिर बैदरकर कारभारी बने। इन्होंने विष्णुपंत गुरुजीऔर राजवी भिड़े की सहायता से कॉलेज की योजना तैयार की।
1 लाख 5 हजार में बनी बिल्डिंग
शुरू होने के तीन साल बाद ही होलकर कॉलेज के लिए नई बिल्डिंग तैयार हो गई। रामचंद्र मूले की देख-रेख में बनी बिल्डिंग में 1894 में कॉलेज शिफ्ट करवा दिया। इस बिल्डिंग के निर्माण में लगभर 1 लाख 5 हजार रुपए का खर्च आया था। तत्कालीन समय के महलों की तरह ही डिजाइन की गई यह बिल्डिंग अब भी मजबूती से खड़ी है। कॉलेज प्रबंधन ने इस बिल्डिंग के साथ हेरिटेज इंस्टिट्यूट बनाने की दावेदारी भी पेश की है।
जानी-मानी हस्तियां थीं प्रोफेसर
होलकर कॉलेज में देश की जानी-मानी हस्तियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। खास तौर पर संस्कृत विषय के लिए के लिए पीएन पाटनकर, फारसी विषय के लिए रामानुजाचार्य फारसी, तर्कशास्त्र के लिए अजिर्जुरमान और विज्ञान के लिए भैरोप्रसाद पहले शिक्षक थे। अजिर्जरहमान की पत्नी अलीगढ़ मुस्मिलस विश्वविद्यालय के संस्थापक सैयद अहमद खान की पुत्री थी। उस समय पाटनकर की मित्रता लोकमान्य तिलक से थी। ब्रिटिश रेसिडेंट ने इस बात पर नाराजगी जताई। इस कारण से 1898 में पाटनकर को कॉलेज से इस्तीफा देना पड़ा था। पांच साल बाद 1903 को महमना मदन मोहन मालवीय ने उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) बुलवा लिया।
आज हम होलकर कॉलेज के के बारे मैं जानेंगे ।
होलकर विज्ञान महाविद्यालय
इन्दौर का एक महाविद्यालय है जिसमें विज्ञान विषयों की शिक्षा की अच्छी व्यवस्था है। यह महाविद्यालय इन्दौर में आगरा-बम्बई मार्ग पर भवंरकुँआ चौराहे के पास है। 10 जून 1891 में होलकर वंश के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने इसकी आधारशिला रखी।यह 36 एकड के भू भाग में फैला हुआ है एवं वर्तमान में गणित एवं जीवविज्ञान संकाय के 10 से अधिक विभाग संचालित है।यशवंत हाल, रेड बिल्डिंग,एकेडमिक हाल यहां के प्रमुख शिक्षण और साहित्यिक केंद्र है।वर्तमान में यहां पर स्नातक और स्ातकोत्तर के 30 से अधिक पाठयक्रम संचालित हो रहे हैं। 1985 में इस महाविद्यालय को आदर्श(माॅडल) का जबकि 1988 में यह स्वशासी(आटोनामस) का दर्जा दिया गया। वर्ष 2015-2016 में इसे नेक NACC द्वारा 'ए' ग्रेड प्रदान किया गया है। वर्तमान में लगभग 4000 विद्यार्थी यहाँ अध्ययनरत है।
एक साल टली थी योजना
मराहाजा शिवाजीराव होलकर ने 1880 में कॉलेज शुरू करने की ईच्छा जताई। तब शिवाजीराव होलकर के कार्यभारी काशीनाथ कीर्तने ने कॉलेज शुरू करना बड़ी जल्दबाजी बताया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि मैट्रिक में ही गिनती के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। ऐसे में कौन कॉलेज पढऩे आएगा। फिर बैदरकर कारभारी बने। इन्होंने विष्णुपंत गुरुजीऔर राजवी भिड़े की सहायता से कॉलेज की योजना तैयार की।
1 लाख 5 हजार में बनी बिल्डिंग
शुरू होने के तीन साल बाद ही होलकर कॉलेज के लिए नई बिल्डिंग तैयार हो गई। रामचंद्र मूले की देख-रेख में बनी बिल्डिंग में 1894 में कॉलेज शिफ्ट करवा दिया। इस बिल्डिंग के निर्माण में लगभर 1 लाख 5 हजार रुपए का खर्च आया था। तत्कालीन समय के महलों की तरह ही डिजाइन की गई यह बिल्डिंग अब भी मजबूती से खड़ी है। कॉलेज प्रबंधन ने इस बिल्डिंग के साथ हेरिटेज इंस्टिट्यूट बनाने की दावेदारी भी पेश की है।
जानी-मानी हस्तियां थीं प्रोफेसर
होलकर कॉलेज में देश की जानी-मानी हस्तियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। खास तौर पर संस्कृत विषय के लिए के लिए पीएन पाटनकर, फारसी विषय के लिए रामानुजाचार्य फारसी, तर्कशास्त्र के लिए अजिर्जुरमान और विज्ञान के लिए भैरोप्रसाद पहले शिक्षक थे। अजिर्जरहमान की पत्नी अलीगढ़ मुस्मिलस विश्वविद्यालय के संस्थापक सैयद अहमद खान की पुत्री थी। उस समय पाटनकर की मित्रता लोकमान्य तिलक से थी। ब्रिटिश रेसिडेंट ने इस बात पर नाराजगी जताई। इस कारण से 1898 में पाटनकर को कॉलेज से इस्तीफा देना पड़ा था। पांच साल बाद 1903 को महमना मदन मोहन मालवीय ने उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) बुलवा लिया।
होलकर महाविद्यालय: एक परिचय
Reviewed by Govind Nagar Dhakad
on
September 09, 2018
Rating:

No comments: