चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने देश के उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिये विश्वविद्यालय स्तर की पाठ्य पुस्तकों को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उपस्थित सभी 22 भाषाओं में अनुवाद करने तथा प्रकाशित करने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (Commission for Scientific and Technical Terminology- CSTT) की ओर से क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन हेतु अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
- अब तक ग्यारह भारतीय भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ये हैं-*
- असमिया
- बंगाली
- गुजराती
- हिंदी
- कन्नड़
- मलयालम
- मराठी
- उड़िया
- पंजाबी
- तमिल
- तेलुगू
- राष्ट्रीय अनुवाद मिशन ( National Translation Mission- NTM) को मैसूर स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (Central Institute of Indian Languages- CIIL) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में निर्धारित विभिन्न विषयों की ज़्यादातर पाठ्य पुस्तकों का भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) भी देश में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देता है साथ ही ‘केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लुप्तप्राय भाषाओं के लिये केंद्र की स्थापना’योजना के तहत नौ केंद्रीय विश्वविद्यालयों का समर्थन करता है।
- भारत में संस्कृत भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:
- आदर्श संस्कृत महाविद्यालयों/शोध संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- संस्कृत पाठशाला के छात्र को कॉलेज स्तर पर मेधावी छात्रवृत्ति का पुरस्कार।
- विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं/कार्यक्रमों के लिये गैर-सरकारी संगठनों/संस्कृत के उच्च शिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता।
- सेवानिवृत्त प्रख्यात संस्कृत विद्वान शिक्षण के लिये शास्त्र चूड़ामणि (Shastra Chudamani) योजना से जुड़े हैं।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, आयुर्वेद संस्थानों, आधुनिक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में, गैर-औपचारिक संस्कृत शिक्षण केंद्रों की स्थापना करके संस्कृत को गैर-औपचारिक संस्कृत शिक्षा (NFSE) कार्यक्रम के माध्यम से भी पढ़ाया जाता है।
- संस्कृत भाषा के लिये राष्ट्रपति पुरस्कार प्रतिवर्ष 16 वरिष्ठ विद्वानों और 5 युवा विद्वानों को प्रदान किया जाता है।
- प्रकाशन के लिये वित्तीय सहायता, दुर्लभ संस्कृत की पुस्तकों का पुनर्मुद्रण।
- अष्टादशी में संस्कृत के विकास को बनाए रखने के लिये अठारह परियोजनाएँ शामिल हैं।
केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान-
- मैसूर में स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक अधीनस्थ कार्यालय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी।
- यह भारत सरकार की भाषा नीति को तैयार करने, इसके कार्यान्वयन में सहायता करने, भाषा विश्लेषण, भाषा शिक्षा शास्त्र, भाषा प्रौद्योगिकी तथा समाज में भाषा प्रयोग के क्षेत्रों में अनुसंधान द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास में समन्वय करने हेतु स्थापित की गई है।
- इसके अंतर्गत इनके उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिये यह बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :
- भारतीय भाषाओं का विकास
- क्षेत्रीय भाषा केन्द्र
- सहायता अनुदान योजना
- राष्ट्रीय परीक्षण सेवा
स्रोत- PIB&drasti
उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा ? || UGC || PM narendra modi ||
Reviewed by Govind Nagar Dhakad
on
July 03, 2019
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