ग़रीब दोस्त
एक छोटे से क़स्बे मे एक निजी विद्यालय में कक्षा 10 वीं में दो लड़को की मित्रता काफ़ी ग़हरी थीं। वह प्रत्येक कार्य के लिए हमेशा तैयार रहते थे। एवं प्रत्येक कार्य को साथ में करते थे। लेकिन एक मित्र जिसका नाम मोहन जो कि आर्थिक रूप से काफ़ी कमज़ोर था।
उसका दोस्त जिसका नाम निहाल जो कि अर्थिक रुप से परिपक्व था। एवं मोहन को पुस्तकों में काफी मदद करता था। लेकीन निहाल कि रूचि पढ़ाई में कम थीं। लेकिन मोहन द्वारा उसको र पूरी मदद मिलती थी। जिस प्रकार वह परीक्षा में पास हो जाता था।
लेकिन निहाल, मोहन से दूरी बढ़ाने लगा, क्योंकी वह उसकी आर्थिक दयनीय स्थिति के कारण वह अपने आप को उसके साथ रहकर कमजोर समझता था।
लेकिन इसका अंदाजा मोहन को नही था। एवं वह उसी प्रकार बर्ताव करता रहा।
लेकिन मोहन ने उस से एक दिन उसकी पुस्तक को पढ़ाई के लिए मांगा तो उसने मना करते हुए। कह दिया कि कभी खुद से भी कोई पुस्तक खरीदना सीख, हमेशा मेरी पुस्तको से पड़कर कक्षा में प्रथम आ जाता है।
क्योकि अब निहाल को उसकी पढ़ाई में अव्वल होने के कारण उसको जलन महसूस हो रही थी।
इसी कारण मोहन को बहुत बुरा महसूस हुआ एवं वह अपनी पुस्तकों के खर्च को कम करने के लिए वह सुबह - सुबह अखबार बांटने का कार्य करने लगा।
क्योंकि उसको एक बड़ा अफसर जो बनना था एवं वह इसी चाहत में सभी दुख दर्द भूल, अपने काम पर लग गया
लेकिन निहाल ने मोहन से दूरिया बड़ा ली थी। मोहन अकेला सा रह गया लेकिन उसने हिम्मत नही हारी एवं कड़ी लगन से अपने कार्यो में लग गया।
दूसरी ओर निहाल जो कि अपनी आर्थिक रूपी मजबूत स्थिती के कारण सब उसे अपना प्रिय समझते थे। एवं निहाल उसी अंधकार में अपने मित्र मोहन को भूल गया।
उसी प्रकार अपनी मेहनत पर आदिक मोहन अपने कार्यो में लीन था।
एक समय बाद अचानक निहाल के पिता के कारोबार में इतना घाटा हो गया कि उनके मकान जायदाद सब बिक गए एवं निहाल की पारिवारिक स्थिति काफी दयनीय हो गई।
एवं एक एक कर निहाल के सभी दोस्त उस से दूर हो गए।
एवं निहाल द्वारा मदद मांगने पर उसे सब नज़रअंदाज़ करने लगे। एवं वह अकेला सा हो गया था। लेकिन इस बारे में मोहन को कुछ पता नही था।
एक दिन कक्षा में निहाल काफी खामोश एवं अकेला बैठा हुआ था।
तभी मोहन की निगाह निहाल पर गई एवं उसे पूछने के लिए मजबूर कर दिया।
मोहन, निहाल के पास गया एवं उसने उसकी खामोशी का राज पूछा
तो निहाल ने बिना संकोच के नम आंखों से पूरी कहानी बयां कर दी।
तभी मोहन ने उसकी कहानी सुन, उसे कुछ कहने के बजाय मदद करना चाहा।
एवम मोहन अपनी मेहनत के दम पर सक्षम हो चुका था। और उसने निहाल की पूरी मदद की ।
लेकिन इस बात को देखकर निहाल के आंशू थम नही रहे थे क्योंकि जिस प्रकार उसने मोहन को प्रताड़ित किया था। तो वो फिर भी इस प्रकार उसकी मदद कर रहा था।
एवं आज मोहन की मित्रता का अहसास हो रहा था।
दोस्तो इस कहानी के अंतिम छोर को पढ़ते हुए, हमने इस कहानी से काफी महत्वपूर्ण सार निकाला है कि कभी भी-
1. अपनी दौलत का अभिमान नही करना चाहिए।
2. दोस्त अमीर हो या गरीब हमेशा उसका साथ देना चाहिए।
3. परिस्थितियां कैसी भी हो, हमेशा मेहनत करने में पीछे नहीं हटना चाहिए।
में,, गोविंद नागर धाकड़
दोस्तो यह कहानी पूर्णत: मेरे द्वारा लिखित कहानी है।
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"गरीब दोस्त- ए मोटिवेशनल स्टोरी"
Reviewed by Govind Nagar Dhakad
on
January 14, 2019
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